बैंकनोट अकेला विषय नहीं है, जब बात बैंकनोटों की होगी ...
1. भारतीय रिज़र्व बैंक और बैंकनोटों पर लिखे “मैं धारक को रुपए अदा करने का वचन देता हूं” इस Promise की बात होगी।
2. केन्द्र सरकार
और बैंकनोटों की सरकारी गारंटी की बात होगी।
3. बैंकनोट लेन-देन का साधन हैं इसकी बात होगी
4. उन लोगों की भी बात होगी जो बैंकनोटों का लेन-देन कर रहे हैं।
जग जाहिर है कि...
5. रिज़र्व बैंक और केन्द्र सरकार अपने लिए बैंकनोट नहीं छाप सकते।
6. लेन-देन के अतिरिक्त बैंकनोटों का अन्य प्रयोग नहीं है और व्यक्ति के अतिरिक्त अन्य कोई नहीं जो बैंकनोटों का लेन-देन करता हो।
7. बैंकनोटों के लेन-देन से बदले में लोगों के आवश्यकताओं की पूर्ति होता रहे, यह केन्द्र सरकार और रिज़र्व बैंक की जवाबदेही है, इसके लिए ही बैंकनोट छापे जाते हैं।
मुद्रामंत्र की संकल्पना
8. बैंकनोट रुपए नहीं हैं, मुद्रा भी नहीं हैं। एक स्त्री बेटी, बहू, माता कहलाती है, रुपए, बैंकनोट, मुद्रा में वही अन्तर है।
9. रुपए क्या है लोग नहीं जानते, इस कारण बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार जैसी समस्याएं हैं।
10. रुपए के लेन-देन को सुधारो कहने का तात्पर्य है, रुपए, मुद्रा, बाजार, उत्पाद आदि विषयों को जानते हुए बैंकनोटों का लेन-देन करना, तभी समस्याओं का समाधान होगा।
'नगरसखा उद्योग' नाम के
सार्वजनिक मंच पर
बैंकनोटों से सम्बंधित विषयों को जनता से साझा करते हुए रुपए के लेन-देन को सुधारने की पहल GJR Products नाम से हम कर रहे हैं।
बैंकनोटों के लेन-देन से सम्बंधित विषय
रुपए
श्रम
- - कार्य, व्यक्ति, बुद्धि
- - श्रम फलित होता है
- - सेवाएँ, व्यवसाय, उद्योग
- - परिश्रम व साधना
- - श्रमिक, व्यवसायी
- - विद्या और शिक्षा
- - श्रम उर्जा है
- - आवर्ती श्रम
- - पुनः पुनः श्रम
- - श्रम से श्रम
- - श्रम,संस्कार,श्रम
बाजार
- - बाजार का घटनाक्रम
- - सामुदायिक जीवन
- - बैंकनोटों का लेन-देन
- - आय तथा व्यय
- - मांग एवं आपूर्ति
- - बाजार परिभाषित
- - उपभोक्ता एवं ग्राहक
- - ट्रस्टीशिप
- - वचननिर्वाह रेखांकन
- - श्रममाप तथा श्रमक्षेत्र
- - वचननिर्वाह लेखाचित्र
उत्पाद
- - उत्पादन
- - उत्पादक
- - उत्पादकता
- - मापदण्ड उत्पादकता
क्रयशक्ति
- - उर्जा और शक्ति
- - क्रयशक्ति का प्रशंग
- - क्रयशक्ति का माप
- - क्रयशक्ति का गठन
- - व्यक्ति की क्रयशक्ति
अर्थशास्त्र
- - शास्त्र अर्थशास्त्र
- - परिभाषा है क्या ?
- - अर्थशास्त्र परिभाषा
- - आर्थिक व्यवस्थाएँ
- - आर्थिक प्रतिद्वन्दिता
- - मानव संसाधन
- - रुपए का अर्थशास्त्र
- - नगरसखा उद्योग

शोधकर्ता : जी जगन्नाथ राजू
जन्म - वर्ष 1949, माता - राजेश्वरी,
पिता - लक्ष्मीपति राजू
गांव - नकक्कापल्ली, जिला - अनकापल्ली, आंध्रप्रदेश.
स्नातक (विज्ञान), वर्ष - 1971,
रांची विश्वविधालय, झारखण्ड.
टाटा टिनप्लेट से वर्ष 2000 में क्वालिटी विभाग से सेवानिवृत.
कार्यकाल के दौरान अर्थशास्त्र को परिभाषित करने का व्रत लिया.
निरंतर 25 वर्षो का अध्धयन, अनवरत अनेक मंचो पर संवाद तथा विषय पर,
टाटा टिनप्लेट प्रबंधन, राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद व भारतीय रिजर्व बैंक से पत्राचार,
करते हुए इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि "सामाजिक-आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए
हमें रुपयों के लेन-देन को सुधारना होगा, तदर्थ मुद्रामंत्र की संकल्पना को हम आगे बढ़ा रहे हैं
".